*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082, 30 सितम्बर 2025 मंगलवार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -30 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - मंगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- अष्टमी 18:05:31 शाम तक तत्पश्चात् नवमी*
*🎈 नक्षत्र - पूर्वाषाढा 32:05:22am तक तत्पश्चात् पूर्वाषाढा*
*🎈 योग - शोभन 25:01:57* रात्रि तक तत्पश्चात् अति अतिगंड*
*🎈करण -बव 18:05:31 Pm तक तत्पश्चात् बालव*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 07:57am से दोपहर 09:26am तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - धनु *
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:28:17*
*🎈 सूर्यास्त - 06:21:11* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - उतर दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से प्रातः 05:39 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:49 पी एम (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:01 ए एम, अक्टूबर 01 से 12:49 ए एम, अक्टूबर 01तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अमृत काल -02:56 ए एम, अक्टूबर 01 से 04:40 ए एम, अक्टूबर 01*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - अष्टमी -
नवरात्र का व्रत*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 रोग - अमंगल-06:27 ए एम से 07:57 ए एम*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-07:57 ए एम से 09:26 ए एम वार वेला*
*🎈 चर - सामान्य-09:26 ए एम से 10:55 ए एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-10:55 ए एम से 12:25 पी एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-12:25 पी एम से 01:54 पी एम*
*🎈 काल - हानि-01:54 पी एम से 03:24 पी एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-03:24 पी एम से 04:53 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-04:53 पी एम से 06:22 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈काल - हानि-06:22 पी एम से 07:53 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-07:53 पी एम से 09:24 पी एम काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-09:24 पी एम से 10:54 पी एम*
*🎈शुभ - उत्तम-10:54 पी एम से 12:25 ए एम, अक्टूबर 01*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:25 ए एम से 01:56 ए एम, अक्टूबर 01*
*🎈चर - सामान्य-01:56 ए एम से 03:26 ए एम, अक्टूबर 01*
*🎈रोग - अमंगल-03:26 ए एम से 04:57 ए एम, अक्टूबर 01*
*🎈काल - हानि-04:57 ए एम से 06:28 ए एम, अक्टूबर 01*
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🚩 *☀#जय अम्बे ☀*
*☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
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🌷🌷 आश्विन नवरात्रि अष्टम दिवस 🌷🌷
30 सितम्बर सोमवार 2025
🌷🍀🌷महागोरी रात्रि पूजा 🌷
🍑*महा गोरी : मां दुर्गा की आठवीं शक्ति...🍑 🌷🌷 नवरात्रि का आठवां दिवस 🌷🌷
🍁 आश्विन नवरात्र शुक्ल अष्टमी🍁
30 सितम्बर 2025 मंगलवार
🌷🌷माता महागौरी:--माता दुर्गा की आठवीं शक्ति 🌷🌷
🍁🍁माता महागौरी:-की कथा 🍁
🍁 माता महागौरी की पूजा विधि एवं भोग प्रसाद 🍁
🍁 माता महागौरी का ध्यान, कवचम् मंत्र 🍁
🍁🍁श्रीमहागौरी माला मंत्र 🍁🍁
🍁🍁श्रीमहागौरी पंचश्लोकी 🍁🍁
🍁 माता महागौरी के १०८ नाम
🍁🍁माँ महागौरी की चालीसा 🍁🍁
🍁🍁श्री गिरिजा गौरी चालीसा 🍁🍁
🍁 माता महागौरी की आरती 🍁
नवरात्रि के 8वें दिन मां दुर्गा की 8वीं शक्ति महागौरी का पूजन किया जाता है। मां के महागौरी नाम और स्वरूप को लेकर 3 पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं।
महागौरी की 3 पावन कथाएं...
🍑१..पहली कथा- देवी पार्वती रूप में महागौरी ने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ द्वारा कहे गए किसी वचन से पार्वतीजी का मन का आहत होता है और पार्वतीजी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आतीं तो पार्वतीजी को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां पहुंचकर वे पार्वतीजी को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। पार्वतीजी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुंद के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते हैं और वे 'महागौरी' कहलाती हैं।
🍑२..दूसरी कथा- इस कथा के अनुसार भगवान शिव को पति-रूप में पाने के लिए देवी की कठोर तपस्या के बाद उनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार कर उनके शरीर को गंगा जल से धोते हैं। तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम 'गौरी' पड़ा।
🍑३...तीसरी कथा- महागौरी की एक अन्य कथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार
देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। देवी पार्वती को मात्र 8 वर्ष की उम्र में अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का आभास हो गया है और तब से ही उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। अपनी तपस्या के दौरान माता केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं। बाद में माता ने केवल वायु पीकर तप करना आरंभ कर दिया। तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए उनका नाम महागौरी पड़ा।
जब मां उमा वन में तपस्या कर रही थीं, तभी एक सिंह वन में भूखा विचर रहा था एवं भोजन की तलाश में वहां पहुंचा, जहां देवी उमा तपस्या कर रही थीं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठीं तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई और मां ने उसे अपनी सवारी बना लिया, क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी इसलिए सिंह देवी गौरी का वाहन है।
माता की तपस्या की प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे गंगा स्नान करने के लिए कहा। जिस समय मां पार्वती स्नान करने गईं तब वहां शुंभ-निशुंभ से पीड़ित देवता विष्णु माया देवी
की स्तुति कर रहे थे। पार्वती ने पूछा आप किसकी
स्तुति कर रहे हो तब पार्वती के शरीर से ही
विष्णुमाया देवी का एक श्याम वर्ण स्वरूप प्रकट हुआ जो कौशिकी देवी कहलाईं ।कौशिकी देवी के शरीर से निकल जाने पर पार्वती का स्वरूप और उज्जवल चंद्र के समान हो गया तब देवी पार्वती स्वयं अम्बिका या महागौरी कहलाईं
कौशिकी और अंबिका ने ही शुंभ-निशुंभ युद्ध का संयुक्त रूप से संचालन किया।
महा गौरी रूप में माता अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको समस्याओं से मुक्त करती हैं। जो व्यक्ति किन्हीं कारणों से नौ दिन तक उपवास नहीं रख पाते हैं, उनके लिए नवरात्र में प्रतिपदा और अष्टमी तिथि को व्रत रखने का विधान है। इससे नौ दिन व्रत रखने के समान फल मिलता है।
इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
🍑ऐसा है मां का स्वरूप
देवीभागवत पुराण के अनुसार, महागौरी वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। मां के दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं हाथ के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। माता का यह रूप शांत मुद्रा में ही दृष्टिगत है। इनकी पूजा करने से सभी पापों का नष्ट होता है।
🍑भोग में मां को चढ़ाएं यह चीज
देवीभागवत पुराण के अनुसार, नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां को नारियल का भोग लगाने की पंरपरा है। भोग लगाने के बाद नारियल को या तो ब्राह्मण को दे दें अन्यथा प्रशाद रूप में वितरण कर दें। जो भक्त आज के दिन कन्या पूजन करते हैं, वह हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। महागौरी को गायन और संगती अतिप्रिय है। भक्तों को पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। एक परिवार को प्रेम के धागों से ही गूथकर रखा जा सकता हैं, इसलिए नवरात्र की अष्टमी को गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है।
🍑पूजा करने से होती है सौभाग्य की प्राप्ति
जो भक्त इस दिन कन्या पूजन करते हैं, वह माता को हलवा व चना के प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इस दिन कन्याओं को घर पर बुलाकर उनके पैरों को धुलाकर मंत्र द्वारा पंचोपचार पूजन करना चाहिए। रोली-तिलक लगाकर और कलावा बांधकर सभी कन्याओं को हलाव, पूरी, सब्जी और चने का प्रशाद परोसें। इसके बाद उनसे आशीर्वाद लें और समार्थ्यनुसार कोई भेंट व दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। ऐसा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां का यह रूप मोक्षदायी है इसलिए इनकी आराधना करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
🌹 माता महागौरी के मंत्र🌹
ध्यान
१....श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
२..या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
३....ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महागौर्यै वरदायै नमः।
४...ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवति महागौरी अन्नपूर्णायै
नमः।
५... ॐ महागौर्यै च विदमहे महाचन्द्रात्मिकायै धीमहि तन्नो
गौरी: प्रचोदयात्
६...ॐ सौभाग्यदायै च विदमहे काममालायै धीमहि तन्नो
गौरी: प्रचोदयात्।
७... ॐ महागौर्यै च विदमहे महेश्वरप्रियायै धीमहि तन्नो
अम्बिका: प्रचोदयात्।
🍑माँ महागौरी देवी ध्यान एवं स्तोत्र🍑
!! ध्यान !!
वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थिातांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम।
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्।
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्॥
हिन्दी अर्थ:
1. मैं उस महागौरी देवी को प्रणाम करता हूँ, जो सभी इच्छाओं और कार्यों की पूर्ति करने वाली हैं,
जिनका माथा चन्द्रार्घकृत शिखर से सुशोभित है और जो सिंह पर आरूढ़ हैं, चार भुजाओं वाली और यशस्विनी हैं।
2. वह पुण्य, चंद्र जैसी स्वच्छ, सोमवक्रस्थ, अष्टम दुर्गा, त्रिनेत्रा देवी हैं,
जो भयंकर शत्रुओं का नाश करती हैं और त्रिशूल व डमरू धारण करती हैं।
3. उनकी वेशभूषा पताम्बर है, हंसमुख जैसी मृदु मुस्कान और अद्भुत अलंकरण से सुशोभित हैं,
मंजीर, कर्णफूल, केयूर, किंकिणि और रत्नकुंडल से सुसज्जित।
4. उनका मुख प्रफुल्ल, पल्लवों के समान सुंदर, कपोल मोहिनी और वदन मोहक हैं,
शरीर का सौंदर्य लावण्यपूर्ण, कमल जैसे मृदु और चंदन की सुगंध से सुशोभित।
🍁!! स्तोत्र !!🍁
सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवादनप्रिया अघा महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगलात्वंहितापत्रयप्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयीमहागौरीप्रणमाम्यहम्॥
हिन्दी अर्थ:
1. मैं उस महागौरी देवी को प्रणाम करता हूँ, जो सभी संकटों का नाश करने वाली,
संपत्ति और ऐश्वर्य देने वाली, और चतुर्वेद का ज्ञान देने वाली हैं।
2. उन सुख और शांति देने वाली, धन-धान्य की प्रदायिनी,
डमरूधारी , शिवप्रिय और पापनाशिनी महागौरी को प्रणाम हैं।
3. वह त्रैलोक्य की मंगलदायिनी, सभी प्राणियों की हितैषिणी,
और चैतन्य और वर प्रदान करने वाली महागौरी हैं।
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🌹महागौरी कवचम् 🌹
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां हृदयो।
क्लींबीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो॥
ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।
कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥
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🌷🌷श्रीमहागौरी माला मंत्र 🌷🌷
ॐ भगवति महागौर्यै श्वेतवर्णायै
शांतायै पवित्रायै सौम्यरूपिण्यै
वृषभारूढ़ायै त्रिशूल-डमरू धरायै
चतुर्भुजायै त्रिनेत्राय अर्धचंद्र धारिण्यै।
धनधान्यप्रदायिन्यै सर्वसंपत्प्रदायिन्यै
आरोग्यप्रदायिन्यै सौभाग्यप्रदायिन्यै
सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै महाशक्त्यै मधुरवाणी।
सर्वलोकहितायै तेजस्विन्यै चन्द्रवदनायै
लोकसुंदरी अंबिकायै त्रैलोक्यशान्तायै
सर्वशक्तिसमृद्ध्यै तेजस्विन्यै पवित्रधारिण्यै।
चन्द्रकांतायै असुरविनाशिन्यै
दुष्टविनाशिन्यै हिमगिरि स्थितायै
भव्यरूपिण्यै तेजस्विन्यै दुष्टघाती सर्वशक्तिसमृद्ध्यै।
शांतायै सौम्यरूपिण्यै पवित्रायै
सर्व आराध्यायै महाशक्त्यै चन्द्रवदनाय
महेश्वरप्रियायै सर्वकष्टहरायै सर्वक्लेशनाशिन्यै।
तेजस्विन्यै कमलपुष्पमालिनी
महादयालु शीतलवर्णायै
मधुरवाणी सर्वलोकहितायै
भव्यरूपिण्यै तेजस्विन्यै।
सर्वसंपत्प्रदायिन्यै ऋद्धिदायिन्यै
सिद्धिप्रदायिन्यै निधिप्रदायिन्यै
सौभाग्यप्रदायिन्यै शीतलवर्णायै
मधुरवाणी सर्वलोकप्रियंकयायै।
वृषभारूढ़ायै सह सिंहवाहनाय
महागौर्यै महादेव वल्लभायै नमः।
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🌷🌷श्रीमहागौरी पंचश्लोकी 🌷🌷
🍁
सौम्यवर्णां श्वेतवसनां कमण्डलुधरां शुभाम् ।
वृषारूढ़ायै देविं महागौरीं नमाम्यहम् ॥१॥
हिन्दी अर्थ:
सौम्यवर्णा, श्वेतवस्त्रधारी, कमण्डलुधारी, वृषभ पर आरूढ़ महागौरी को प्रणाम।
🍁
सर्वपापशमनकारिणीं शुभां भक्तानुग्रहकारिणीम् ।
सर्वसिद्धिदां देवीं महागौरीं नमाम्यहम् ॥२॥
हिन्दी अर्थ: सभी पापों को नष्ट करने वाली, भक्तों पर कृपा करने वाली महागौरी।
🍁
त्रिनेत्रां च रूपवतीं सौख्यसंपत्तिप्रदाम् ।
सिंहनादप्रभाभीता महागौरीं नमाम्यहम् ॥३॥
हिन्दी अर्थ:
त्रिनेत्रधारी, रूपवती, सुख और समृद्धि देने वाली, सिंहनाद से दुष्ट भयभीत महागौरी।
🍁
दुष्टविनाशिनीं देवी भक्तरक्षाकारिणीम् ।
सर्वकामसिद्धिदां देविं महागौरीं नमाम्यहम् ॥४॥
हिन्दी अर्थ: दुष्टों का विनाश करने वाली, भक्तों की रक्षा करने वाली, सभी काम सिद्धि देने वाली महागौरी।
🍁
स्तोत्रेणानेन ये भक्त्या महागौरीं स्मरन् ।
सर्वसौख्यसंपत्तिं च सर्वविपत्तिनाशनम् ॥५॥
हिन्दी अर्थ: जो भक्तिभाव से महागौरी का स्मरण करता है, सभी सुख-समृद्धि और विपत्तियों से मुक्ति पाता है।
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🌷🌷🌷 महागौरी अष्टोत्तरशत नामावली 🌷🌷🌷
ॐ महागौर्यै नमः
ॐ श्वेतवर्णायै नमः
ॐ शांतायै नमः
ॐ पवित्रायै नमः
ॐ सौम्यरूपिण्यै नमः
ॐ कमलासनायै नमः
ॐ चतुर्भुजायै नमः
ॐ त्रिनेत्रायै नमः
ॐ सुन्दर्यै नमः
ॐ शूलधारिण्यै नमः ॥१०॥
ॐ धनधान्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ सर्वसंपत्प्रदायिन्यै नमः
ॐ आरोग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ सौभाग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै नमः
ॐ महाशक्त्यै नमः
ॐ मधुरवाणी नमः
ॐ शांतविकारी नमः
ॐ कमलपुष्पमालिनी नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः ॥२०॥
ॐ चन्द्रवदनायै नमः
ॐ उग्ररूपिण्यै नमः
ॐ दयालु रूपिण्यै नमः
ॐ सर्वलोकहितायै नमः
ॐ आराध्यायै नमः
ॐ शीतलवर्णायै नमः
ॐ व्रजलोकप्रियायै नमः
ॐ भव्यरूपिण्यै नमः
ॐ सम्पदां प्रदायिन्यै नमः
ॐ सौम्यविनायकायै नमः ॥३०॥
ॐ त्रैलोक्यशान्तायै नमः
ॐ सर्वशक्तिसमृद्ध्यै नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः
ॐ पवित्रधारिण्यै नमः
ॐ चन्द्रकांतायै नमः
ॐ रौद्रविनाशिन्यै नमः
ॐ भयानकायै नमः
ॐ दुष्टविनाशिन्यै नमः
ॐ महाशान्त्यै नमः
ॐ कमलवासिन्यै नमः ॥४०॥
ॐ सर्वरोगहरायै नमः
ॐ सर्वक्लेशनाशिन्यै नमः
ॐ सौम्यविकारी नमः
ॐ दयालुजनप्रियायै नमः
ॐ महादयालु नमः
ॐ सर्वसंपत्प्रदायिन्यै नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै नमः
ॐ आरोग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ धनधान्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ पवित्रवेश्मविन्यासायै नमः ॥५०॥
ॐ चतुर्भुजधारिण्यै नमः
ॐ त्रिनेत्रायै नमः
ॐ कमलासने स्थितायै नमः
ॐ श्वेतवर्णायै नमः
ॐ मधुरवाणी नमः
ॐ सर्वलोकहितायै नमः
ॐ भव्यरूपिण्यै नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः
ॐ दुष्टघाती नमः
ॐ सर्वशक्तिसमृद्ध्यै नमः ॥६०॥
ॐ शांतायै नमः
ॐ सौम्यरूपिण्यै नमः
ॐ पवित्रायै नमः
ॐ आराध्यायै नमः
ॐ महाशक्त्यै नमः
ॐ चन्द्रकांतायै नमः
ॐ व्रजलोकप्रियायै नमः
ॐ आरोग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ धनधान्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ सम्पदां प्रदायिन्यै नमः ॥७०॥
ॐ सर्वरोगहरायै नमः
ॐ सर्वक्लेशनाशिन्यै नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः
ॐ सौम्यविकारी नमः
ॐ पवित्रवेश्मविन्यासायै नमः
ॐ चतुर्भुजधारिण्यै नमः
ॐ त्रिनेत्रायै नमः
ॐ कमलपुष्पमालिनी नमः
ॐ महादयालु नमः
ॐ सर्वसंपत्प्रदायिन्यै नमः ॥८०॥
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै नमः
ॐ आरोग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ धनधान्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ सौभाग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ शीतलवर्णायै नमः
ॐ मधुरवाणी नमः
ॐ सर्वलोकहितायै नमः
ॐ भव्यरूपिण्यै नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः
ॐ कमलवासिन्यै नमः ॥९०॥
ॐ पवित्रधारिण्यै नमः
ॐ चन्द्रवदनायै नमः
ॐ श्वेतवर्णायै नमः
ॐ महाशक्त्यै नमः
ॐ आराध्यायै नमः
ॐ सौम्यरूपिण्यै नमः
ॐ दयालुजनप्रियायै नमः
ॐ भव्यरूपिण्यै नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः
ॐ महागौर्यै नमः ॥१००॥
ॐ सर्वसंपत्प्रदायिन्यै नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै नमः
ॐ आरोग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ धनधान्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ सौभाग्यप्रदायिन्यै नमः
ॐ पवित्रायै नमः
ॐ शांतायै नमः
ॐ तेजस्विन्यै नमः
ॐ सर्वलोकहितायै नमः
ॐ कमलासनायै नमः ॥१०८॥
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🌷🌷🌷॥ माँ महागौरी की चालीसा ॥🌷🌷🌷
श्री महागौरी माता चालीसा
१.
जय-जय महागौरी माता, शुभ्र वस्त्र तनधारी।
चतुर्भुजा, करुणामयी, जग जननि भवतारी।
२.
श्वेत वृषभ पर सवारी, गौरवर्ण मनोहर।
कर में त्रिशूल और डमरू, रूप अलौकिक सुंदर।
३.
गले में माला शोभे, मुखमंडल चंद्र समान।
करुणा की धारा बहाएँ, मिटाएँ सकल क्लेश महान।
४.
शांति स्वरूपा माँ महागौरी, पापों को हर लेतीं।
भक्तजनों के जीवन में, सुख-समृद्धि भर देतीं।
५.
अत्यंत कोमल रूप तुम्हारा, त्रैलोक्य को भाता।
भक्त जो शरण में आता है, भवसागर तर जाता।
६.
कष्टों से जो ग्रसित हुआ, संकट भारी पाता।
महागौरी कृपा दृष्टि से, सब संकट मिट जाता।
७.
सिद्धि, बुद्धि और सुखदायिनी, आराध्य तुम्हें गाएँ।
सकल जगत में महिमा गाकर, भक्त शीश नवाएँ।
८.
व्रत-उपवास में जो पुजे, पूरण होय मनोरथ।
भक्त तुम्हारे ध्यान से पाते, सुख-शांति और संपत्त।
९.
ध्यान तुम्हारा जो मन धरे, शुद्धि पावन पावे।
भक्ति-भाव से जो पुकारे, जीवन सफल बनाए।
१०.
जय-जय महागौरी माता, जय अम्बे भवानी।
भक्तों की रक्षा करतीं, त्रैलोक्य कल्याणी॥१०॥
११.
नववर्ष और नवरात्र में, तेरा पूजन होवे।
भक्तजनों का जीवन धन्य, संकट सब हर लोवे।
१२.
ध्यान तुम्हारा कर जो साधे, पवित्र तन-मन पावे।
सकल रोग और दुःख मिटाकर, आनंद जीवन लावे।
१३.
दुर्गम राह सुगम कर देतीं, पथ पर दीप जलातीं।
महागौरी कृपा से जीवन, दिव्य ज्योति पाता।
१४.
जप-तप और साधना से, तुम शीघ्र प्रसन्न हो जातीं।
भक्त के जीवन में माता, सुख-समृद्धि लातीं।
१५.
श्वेत वस्त्र की छटा निराली, शांति का स्वरूप।
तेरा ध्यान धरें जो प्राणी, मिटे क्लेश अनूप।
१६.
कन्या पूजन में तुझे स्मरें, पुण्य असीम मिलाता।
संतति सुख और आयु लंबी, जीवन सफल बनाता।
१७.
जो नर नारि ध्यान तुम्हारा, हृदय में जगाते।
भय, रोग और संकट भारी, पल में दूर भगाते।
१८.
योगी, साधक, सिद्धिजन सब, चरणों में शीश नवाएँ।
तुम्हारे स्मरण मात्र से ही, अमृत फल पायें।
१९.
महादेव की अर्धांगिनी, शिवशक्ति स्वरूपा।
महागौरी जगतारिणी, त्रैलोक्य की अनुपा।
२०.
जय जय जय महागौरी माता, करुणा अमृत बरसाओ।
भक्तों के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि तुम लाओ॥२०॥
२१.
सदा स्नेह और प्रेम बरसाओ, दुष्टों को संहारी।
भक्तवत्सला माँ महागौरी, जग में कृपा भारी।
२२.
ध्यान तुम्हारा कर जो धरे, भवसागर से तर जाए।
संसार के बंधन छूटें, मोक्ष का सुख पाये।
२३.
भक्तजनों के मन की बात, माँ सब जान लेतीं।
वाणी से कुछ कहे न कहे, अंतर्यामी बन सुनतीं।
२४.
दुर्गा के अष्टम रूप में, तुम जग में विख्याता।
संसार के संकट हरकर, जीवन सुखमय बनाता।
२५.
संत, महात्मा, योगीजन सब, गुण गाते दिन-रैन।
महागौरी की कृपा से ही, मिलता जीवन चैन॥२५॥
२६.
सकल दुःख और दारिद्र्य, महागौरी हर लेतीं।
भक्तों की झोली को माता, सुख-सम्पदा भर देतीं।
२७.
जो नर-नारी करें भजन, सुख-संपत्ति पावें।
सौभाग्य और आरोग्य, जीवन में खिल जावें।
२८.
ज्ञान, वैराग्य और शक्ति, तुम सहज दिलाओ।
भक्तों के हर कष्ट मिटाकर, जीवन सफल बनाओ।
२९.
शिव के संग तप कर जब, गौर वर्ण पाया।
महागौरी नाम तुम्हारा, जग ने गुण गाया।
३०.
जय-जय महागौरी माता, भक्ति का सुख लाओ।
भक्तों के जीवन में करुणा, अमृत वर्षाओ॥३०॥
३१.
सदा शांति स्वरूप रहो, संकट सब हर लाओ।
भक्तों को मोक्ष प्रदान करो, जीवन सफल बनाओ।
३२.
धन-धान्य और ऐश्वर्य, माता कृपा से पावें।
संतति सुख और सौभाग्य, भक्तजन घर लावें।
३३.
तेरा रूप निराला माँ, अद्भुत और सुहावन।
ध्यान जो धरे निरंतर, पावन बने जीवन।
३४.
भक्त तुम्हारे ध्यान से माँ, पाते अमृत धारा।
महागौरी की कृपा से ही, मिलता सुख अपारा।
३५.
अन्नपूर्णा का रूप धरे, सबको भोजन देतीं।
करुणा से जीवन में, आनंद सदा भर देतीं।
३६.
सिद्धि और ऋद्धि सब देतीं, संकट पल में हरतीं।
भक्तजनों के जीवन को, समृद्धि से भरतीं।
३७.
सदा श्वेत ज्योति की धारा, जग में बरसाओ।
भक्तों के जीवन में सुख-शांति, अमृत वर्षाओ।
३८.
जय जय जय महागौरी माता, भक्तों की रखवाली।
संकट, क्लेश और पाप हरों, कृपा अपार मतवाली।
३९.
भक्तजनों का जीवन धन्य, माँ तेरी आराधना से।
सुख-समृद्धि सब मिल जाएँ, कृपा अमृत की धारा से।
४०.
जय जय महागौरी माता, जगदम्बा भवानी।
जय जय महागौरी माता , भक्तों को कल्याणी॥४०॥
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🌷🌷श्री गिरिजा गौरी चालीसा 🌷🌷
मन मंदिर मेरे आन बसो, दीक्षा आरंभ गुणगान,
गिरिजा गौरी मां मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न देखें, पर श्रद्धा है आपका,
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गिरिजा गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरणागत न कभी गभरता, गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश सुनाओ।
सार्थकता हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हतु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वैभव में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जग दो, मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु, मुस्लिम पक्ष का स्नेहा मै पाउ।
परम सहारा आप हो मेरी, अरामी क्यूं वर में इतनी देरी,
हमारे काज पूरी कीजियो, थोड़े में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखें, भक्ति भाव जगाए रखें,
गौरी माता अनसन रखें, कभी न खोऊं मन का चैन।
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मै बैठो,
श्रद्धा भाव जो ले आया, बिन मैया भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ा के दिया सहारा,
जब भी मां तेरी स्नेह दिलावे, निराश मन में आस जगावे।
शिव ने भी आपका कहा ना तले, दया दृष्टि हमने पे डाली,
जो जन करे आपका ध्यान, जग में पाया मान सम्मान।
मित्र मन जो सुमिरन करता है, अपनी सुहाग की रक्षा करता है,
दया दृष्टि जब माँ डालता है, भव सागर से पार उतारते हैं।
जपे जो ॐ नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेह वो मिले,
जो जपे आप दया दिखावे, बुरी आत्मा नहीं सतावे।
सात गुण की हो दाता आप, हर इक मन की ज्ञाता आप,
काटो हमारे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।
दुख संताप देना माता, मेघ के जन्म देना मां,
जब भी आप मौज में आय, हाथ जय मां सब विपदा।
जीसपे फेलो हो माता आप, उनका परम पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दूध चढ़ाओ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुन मेरे साथ जुड़ना माँ, ममता आँचल कर देना माँ,
मुश्किल नहीं कुछ तुम्हें माँ, जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाओ न गुण माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहु तेरे,
तेरा परम धाम, सब धामो को माँ प्रणाम।
तेरी दया है ना पार, तभी पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण में आता है, मुक्ति की वो युक्ति पाता है।
संतोष धन से दामन भर दो, असम्भव को माँ संभावित कर दो,
तुम्हारी दया के भरे, सुखी स्थान मेरा परिवार।
आपकी महिमा अति निराली, भक्तों के दुःख हरने वाली,
मनो कामना पूर्ण करती है, मन की दुर्भाग्य पल में हरती।
चालीसा जो भी पढ़े-सुनाया,योग सु वर दे दे मां,
आशा पूर्ण कर दे मां, सुमंगल साखी वर दे मां।
गिरिजा गौरी माँ विनती करूँ, आना तेरे द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये, हो जाये उद्धार।
हीं हीं हीं शरण में, दो चरण का ध्यान,
ऐसी मां कृपा, पाऊं मान सम्मान।
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🌷🌷महागौरी माता की आरती🌷🌷
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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